एक रात मैंने एक सपना देखा: चाँदनी रात , शीतल वातावरण , एक छोटी सी नदी और मैं उसके पास औंधे मुंह लेटा हूँ। मेरा एक हाथ सिर के निचे तो दूसरा हाथ नदी में झूलते हुए ठन्डे पानी को स्पर्श कर रहा है। आँखे आसमान में चाँद को देखकर आनंदित हैं , इतना सुंदर द्रश्य जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। आज भी उस सपने को याद करता हूँ तो उस शीतलता की प्यास जग जाती है। लेकिन कभी ये सोच कर नहीं सोया की आज भी वही सपना आए। एक और अनुभव में मैंने कुछ दिन बिताये: मन जैसे संसार बनकर चारों तरफ फ़ैल गया है, मस्तिष्क विचारों से खाली हो गया है, शरीर मैं जैसे मेरे जानें बिना दिल भी नहीं धड़कता, बाहर जो कुछ भी दिखाई देता है वो बिलकुल नया और अनूठा हो गया है , भीतर एक धन्यवाद , एक आभार का भाव हिलौरे ले रहा है , जबकि ये भी नहीं पता की धन्यवाद किसका करना है , किसके पैरों में झुक जाऊं। आज भी जब उस वक्त का ख्याल आता है तो ऐसा लगता है जैसे बीत गया , अब वापिस नहीं आएगा। लेकिन हर रोज हर पल उस सामंजस्य को अपने भीतर उतार लेने की चाह से भरा रहता हूँ। मैंने सुना है की चाह छोड़ दो तो वो मिल जाएगा , प्रयास छोड़ दो तो वो मिल जायेगा , ले
Un Talked Psychology by Upay Shunya
Upay Shunya rediscovered Reality Check and Self Collection methods for Self Realization. Beginners guide for inner peace.