Psychology of Opposing Mindset |
First of all let's see some examples of Opposing Mindset
आइये पहले कुछ उदाहरण देखते हैं :
क्या आपने कभी किसी स्टेडियम में जाकर भारत - पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखा है ? स्टेडियम में ना देखा हो तो टीवी पर तो देखा ही होगा !!
जरुरी नहीं है की मैच भारत या पाकिस्तान में हो रहा हो, चाहे दुनिया की किसी भी पिच पर खेला गया हो , इन दो देशों के मैच को देखने के लिए सबसे ज्यादा दर्शक जाते हैं। जानते हो क्यों ?
कोई कह सकता है की "अपने देश की टीम को स्पोर्ट करने के लिए। "
लेकिन सच्चाई थोड़ी और गहरी है , असल में लोग जाते हैं विरोध के कारण। भारत - पकिस्तान के लोगों के बीच विरोध इतना गहरा है की वो अपने आप स्टेडियम के टिकट बिकवा देता है।
अब एक दूसरा उदाहरण देखते हैं:
जर्मनी में हिटलर ने एक झूठ चलाया की यहूदी जर्मनी के दुश्मन हैं और यहूदियों को छोड़कर पूरा जर्मनी हिटलर के पीछे हो लिया। तुम क्या सोचते हो लाखों यहूदियों की मौत का कारण क्या रहा होगा ? एक अव्यक्त विरोध जो एक पंथ को मानने वाले के मन में दूसरे पंथ के प्रति होता है।
एक और उदाहरण देखते हैं :
2011 के "भ्रस्टाचार विरोधी आंदोलन" को तो हम सबने टीवी पर देखा , अखबारों में पढ़ा , और लाखों की संख्या में लोग दिल्ली में इकठ्ठा भी हुए। इस आंदोलन के कारण बाबा रामदेव की जान जाते जाते बची , तो बहुत से लोग इतने भाग्यशाली नहीं रहे और उनको अपनी जान गंवानी पड़ी। इसका परिणाम ये हुआ की जनता ने दिल्ली और देश की सरकार को बदल दिया। लेकिन 10 वर्ष से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी उस समय दिखाए गए भ्र्ष्टाचार में से कितने दावे साबित हो पाए हैं ?
विरोधी होना एक इंसान के मूल स्वभाव का हिस्सा है। दूसरे शब्दों में "जो चीज या बात आपको पसंद नहीं आती , आप उसके विरोधी हो जाते।" (Will write special post on causes of opposing mindset)
ये विरोध इतने गहरे और अव्यक्त होते हैं की कुछ ख़ास मौकों पर ही इनका प्रचंड रूप दिखाई देता है। जैसे हम एक सामान्य सी अवधारणा दिखाते हैं की "सभी धर्म समान हैं , और सबको अपनी उपासना पद्धति का निर्वहन करने का अधिकार है।" लेकिन अगर आप शोशल मिडिया से जुड़ें हैं तो आप हर रोज ऐसी पोस्ट देखते हैं जिसमें कहीं एक धर्म के आराधना स्थल के सामने से दूसरे धर्म की कोई झांकी निकाले जाने का विरोध हो रहा है , तो कहीं सड़क पर नमाज पढ़ने का विरोध हो रहा है।
ये सब क्यों ? दूसरे धर्मों की बात को छोड़ो , आज भी ऐसे समाचार आते रहते हैं के एक जाती के दूल्हे को दूसरे जाती के लोगों ने अपने घर के सामने से नहीं निकलने दिया।
हम ऊपर ऊपर से अच्छे दिखाई पड़ते हैं , या खुद को अच्छा दिखाने की कोसिस करते हैं। लेकिन भीतर में अनेक विरोधों की सड़ांध को छुपाये चले जाते हैं। और फिर किसी ख़ास मौके पर , किसी उकसावे में आकर हम इस सड़ांध से आस पास के माहौल को खराब करने में कसर नहीं छोड़ते।
ये तो वो पहलु है जिसमें एक इंसान के विरोधी स्वभाव को देखा और दिखाया जा सकता है। विरोध का एक पहलु और भी है , जो ज्यादातर बिना नोटिस हुए चलता जाता है। जैसे एक आदमी किसी खास सब्जी को पसंद नहीं करता या फिर किसी ख़ास रंग को पसंद करता है। तो उसे ये विचार आना ही लगभग असंभव है की वो विरोध में जी रहा है। आप सोच सकते हैं की "माना ये एक तरह का विरोध है , लेकिन इसमें बुराई ही क्या है ?"
आपको ये जानना और देखना होगा की विरोध चाहे छोटा हो या बड़ा ये आपके जीवन , आपके मन को ना केवल प्रभावित करता है बल्कि धीरे धीरे आपको मनोरोगी भी बनाता है। लेकिन हमारी आदत ऐसी हैं की जब तक कोई रोग हमारा जीना मुश्किल ना कर दे , हम उसे रोग मानते ही नहीं।
विरोधी मानसिकता का एक सामान्य दुष्प्रभाव ये है की कोई भी बात / लेख / ऑडियो या वीडियो आपके बीपी को बढ़ा सकती है, आपको किसी अनिश्चित चिंता में डाल सकती है। असामान्य दुष्प्रभाव की बात करें तो ऐसी मानसिकता आपका या किसी और का जीवन बर्बाद कर सकती है, या आर्थिक रूप से कमजोर कर सकती है।
आपकी विरोधी मानसिकता का फायदा उठा कर आपको कोई भड़का देता है , और आप किसी भीड़ में शामिल हो कर कहीं उत्पात मचाते हैं। तो पकडे जाने पर सजा भी आप ही भुगतते हैं। इसका ताजा उदाहरण आप उत्तर प्रदेश से आने वाले समाचारों में देख सकते हैं, जहाँ ना केवल दंगाइयों को जेल जाना पड़ा बल्कि वैध तरीके से उनके घरों को भी तोड़ दिया गया।
अगर आपको लगता है की विरोधी मानसिकता का ऐसे ही लाभ उठाया जाता है तो अभी आपने सिक्के के सिर्फ एक पहलु को देखा है।
क्या आपने आज कोई वायरल पोस्ट पढ़ी या वीडियो देखि , जिसपर हजारों लाइक शेयर और लाखों व्यूव हों ? ये मैं आपके ऊपर छोड़ता हूँ की आप दिन में काम से काम 2 ऐसी पोस्ट/वीडियो का मूल्यांकन करें। इससे आपको अपने अंदर के विरोधों को नजदीक से जानने का मौका मिलेगा।
अगर आप अपनी विरोधी मानसिकता को जान जाएंगे तो एक चमत्कार आपके जीवन में होगा , कोई अन्य अपने लाभ के लिए आपकी विरोधी मानसिकता को चारा नहीं बना पायेगा। अगले साल इलेक्शन होने वालें हैं , इस पोस्ट का उद्देशय बस इतना ही है की आप स्वयं को मानसिक रूप से तैय्यार कर लें , क्यूंकि इस विरोधी मानसिकता का सबसे ज्यादा फायदा राजनीति वाले ही उठाते हैं।
सबसे बेहतर तो यही है की आप अपनी मानसिकता का , अपने बदलते मूड का प्रतिदिन अवलोकन करें। धीरे धीरे आप अपने मन के अपनी मानसिकता के स्पेस्लिस्ट बन जाएंगे और एक बेहतर जीवन जी पाएंगे।
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